ठ और चूतड़ तो समझो कयामत।
अभी हमें नए घर में आये हुए चार दिन ही हुए थे। मैने देखा कि वो मेरी तरफ देख रही थी। मैंने उस दिन उसको पहली बार देखा। बस मेरा तो समझो लंड पूरा अकड़ गया। मन किया कि साली को अभी पटक कर चोद दूँ पर मैं चाहता था कि पहल वही करे तो ज्यादा अच्छा रहेगा।
मैं बाईस साल का स्मार्ट लड़का हूँ, अच्छी अच्छी लड़कियाँ मरती हैं मेरे ऊपर ! बस उस दिन तो मैं जैसे तैसे ऑफिस चला गया तो वो बाद में मेरे घर आई, मेरी मम्मी से मिली और पूछा कि कहाँ से आये हो? क्या करते हो? और मेरे बारे में भी पूछा।
आपको बता दूँ कि मेरा खुद का व्यापार है क्रॉकरी एक्सपोर्ट का। मैं सुबह 10 बजे ऑफिस जाता हूँ और रात को 8 बजे आता हूँ। शनिवार और रविवार मेरी छुट्टी होती है।
अगले दिन शनिवार था तो वो स्कूल नहीं गई। शायद उसे मम्मी ने बता दिया था कि मैं शनिवार को घर पर ही रहता हूँ। जब मैं 7 बजे सोकर उठा तो बालकोनी की तरफ आया। देखा कि वो खड़ी थी, मेरी तरफ देखते ही उसने गरदन हिलाकर मुझे नमस्ते किया और मेरी तरफ एक मिनट में आने इशारा करके चली गई।
मैं देखता रहा। अचानक देखा तो वो मेरे घर पर ही मेरे पीछे खड़ी थी। अच्छा हुआ कि उस समय मम्मी वहाँ नहीं थी मंदिर चली गई थी। मैंने उससे पूछा- जी हाँ ! बताईये !
तो वो कहने लगी- आप मेरी तरफ देख रहे थे न ! तो मैंने सोचा कि जाकर ही मिल लूँ।
मैंने कहा- प्लीज़, आप यहाँ से चली जाओ ! कहीं किसी ने देख लिया तो परेशानी हो जाएगी।
वो बोली- ओ के बाबा ! चली जाउंगी, तुम क्यों इतना डर रहे हो?
फिर बोली- अच्छा तुम्हारा नाम अंकुर है ना? और तुम बिजनेस करते हो ! और तुम्हारी शादी भी नहीं हुई है ! अभी तक क्या तुम्हारा शादी करने का मन नहीं करता?
तो मैंने गुस्से से कहा- तुम्हें इससे क्या मतलब ?
क्योंकि मुझे डर लग रहा था, अभी चार दिन हुए थे मोहल्ले में आये हुए।
वो बोली- प्लीज़, मेरा एक काम करोगे?
उसकी आँखों में मासूमियत झलक रही थी तो मैं भी पिघल गया और बोला- बोलो, क्या काम है?
तो वो बोली- मैंने सुना है कि आपकी इंग्लिश बहुत अच्छी है लेकिन मेरी बहुत कमजोर है। अगर आप मुझे थोड़ा बहुत पढ़ा दिया करें तो आपका एहसान मैं जिन्दगी भर नहीं भूलूंगी।
तो मैंने कहा- इसमें एहसान की क्या बात है, अगर तुम्हारे घर वालों को कोई परेशानी नहीं है तो मुझे भी कोई परेशानी नहीं होगी। तुम रोज रात को आठ बजे आ सकती हो।
उसने मुझे धन्यवाद कहा तो मैंने सोचा कि मौका है गुरु ! चौका मार दो और बोल दिया- दोस्ती में नो सॉरी ! नो थैंक्स !
वो मुस्कुराई और जाने लगी, तभी मेरी मम्मी भी मंदिर से आ गई। और उससे पूछ ही लिया- हाँ बेटी ! कैसे आई थी।
मम्मी को शक तो हो रहा था, बस मैं तुरंत अपने कमरे में चला गया।
पर उसने खुद ही मम्मी को बोल दिया कि मैं आज से शाम को 8 बजे से उसे पढ़ाने वाला हूँ क्योंकि उसकी परीक्षा करीब आ रही हैं, और उसे कोई इंग्लिश का अच्छा टीचर नहीं मिल रहा है।
मैंने भी चुपके से सुन लिया। मैं भी मन ही मन खुश होने लगा। उस दिन ऑफिस में भी काम में मन नहीं लगा। अब इतनी सुन्दर लड़की और वो भी नई, तो भला किसका मन करेगा काम करने का ! और मैं ऑफिस से सात बजे ही आ गया।
मम्मी ने खाने को पूछा तो मैंने बोला- अभी नहीं ! थोड़ा बाद में खाऊंगा।
बस 8 बजे और वो गई अपनी किताबें लेकर !
तो मैंने उसे बोला कि पढ़ाई हमेशा एकांत में ही होती है और अपने कमरे में आने को कहा। बस वो मेरे पीछे पीछे आ गई। अब वो और मैं मेरे बिस्तर पर बैठ गये। उसने अपनी किताब खोली और पूछने लगी यह क्या होता है, वो क्या होता है।
मेरा कहाँ मन कर रहा था पढ़ाने का ! मैं तो बस उसकी तरफ देखता ही जा रहा था।
उसने पूछा- क्या देख रहे हो ?तो मैंने कहा- तुम्हारा चेहरा पढ़ रहा हूँ क्योंकि मैं एक साइकोलोजिस्ट हूँ और मुझे लगता है कि तुम्हें कोई ना कोई परेशानी जरूर है।
तब वो उत्साहित हो गई और बोली- आपको कैसे पता ? और बताओ ना कुछ !
तो मैंने भी सोचा कि मौका अच्छा है और बोला- लगता है तुम्हें किसी की कमी खलती है अपनी जिन्दगी में !
तो वो बोली- हाँ ! और तुम्हें शायद कोई अच्छा दोस्त नहीं मिला जिससे तुम अपने दिल की बातें कर सको !
तो उसने हाँ में सर हिलाया और उदास सी ही गई और बोली- कुछ और भी बताओ ना !
तो मैंने कहा- लाओ तुम्हारे गालों की लकीरें देखता हूँ क्या कहती हैं ! और उसके गालों को छू-छू कर देखने लगा।
मेरा लंड तो समझो बाहर आने को बेताब था पैंट से !
वो देख रही थी और बोली- बताओ ना क्या लिखा है मेरे गालों पर ?
तो मैंने बोल दिया कि तुम्हारी जिन्दगी में कोई बहुत जल्दी आने वाला है और तुम भी उसे चाहती हो और अगर तुमने उसे बोलने में थोड़ी भी देर की तो तुम जिन्दगी भर ऐसे ही पछताते रहोगी।
तब वो बोली- अगर उसने मना किया तो ?मैंने कहा- ऐसा हो ही नहीं सकता।
तब अचानक वो मुझसे लिपट गई और बोली- आई लव यू अंकुर !
बस मैंने भी बोला- आई लव यू टू जान !
और उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिये। पांच मिनट तक हम दोनों ऐसे ही लिपटे रहे कि अचानक उसकी मम्मी ने नीचे से आवाज लगाई- पढ़ाई ख़त्म हो गई हो तो आ जाओ बेटा ! बाकी कल पढ़ लेना। अगले दिन इतवार था तो मैंने उसे कहा- कल मैं कहीं बाहर जा सकता हूँ इसलिए तुम्हें सुबह आठ बजे ही पढ़ा दूंगा।
रात भर नींद नहीं आई और बस सोचता रहा कि कब सुबह हो और चोद डालूं उसे !
वो रात भी इतनी लम्बी हो गई कि बस आप तो जानते ही होंगे दोस्तो कि इंतजार कितना मुश्किल होता है।
खैर सुबह हुई, आठ बजे और वो आ गई। और तभी मम्मी भी मंदिर चली गई। वो और मैं सीधे कमरे में गये, दरवाज़ा बंद कर लिया और जाते ही उसके जलते हुए होठों पर अपने होंठ रख दिये। वो भी मेरा साथ देने लगी। ना जाने कब ही कब में मैंने उसकी चूचियों को आजाद कर दिया और उन्हें जोर जोर से मसलने लगा। उसने मेरा हल्का सा विरोध किया पर उसके बाद वो भी गर्म हो गई।
मेरा लंड अन्दर ही पैंट फाड़ने लगा और उसने अपने हाथों से मसलना शुरू कर दिया। करीब 10 मिनट की चुम्मा-चाटी के बाद वो पूरी गर्म हो गई और मेरे कपड़े उतारने लगी।
मैंने भी देर ना करते हुए उसके कपड़े उतार दिए। उसने केवल पैन्टी ही पहनी थी। उसका नंगा बदन देखकर मैं दंग रह गया। उसकी चूचियाँ इस तरह मेरे सामने थीं कि मानो मुझे अपनी वासना बुझाने के लिए आमन्त्रित कर रही हों।थोड़े ही समय में दोनों पूरे नंगे हो गए। वह घुटने के बल बैठ गई और मेरा लंड चूसने लगी और मैं उसके मम्मे दबा रहा था। फिर मैंने उसे लिटा दिया और उसकी संगमरमरी चूत अपनी उंगलियों से चोदने लगा। उसकी चूत एकदम कसी थी अनचुदी कली थी। वह सिसकारियाँ भर रही थी और इतने में वह झड़ चुकी थी। मैंने उसके अमृत-रस को साफ़ कर दिया।
तब मैंने अपने लंड को उसकी चूत के छेद से सटाया और सांस रोक कर जोर लगाने लगा। पर उसकी चूत बहुत कसी लग रही थी तो मैंने कर थोड़ा जोर से धक्का लगाया तो उसकी चीख निकल गई। मैंने उसके मुँह पर हाथ रख दिया ताकि पड़ोसी न सुन सकें।
लंड का सुपाड़ा उसकी चूत में घुस चुका था। अब मैंने लंड को थोड़ा सा पीछे करके एक और जोर से धक्का दिया तो लण्ड चूत की दीवारों को चीरता हुआ आधा घुस गया। अब वह सर को इधर उधर मार रही थी पर लंड अपना काम कर चुका था। मैंने अपनी सांस रोकी और लंड को वापिस थोड़ा सा पीछे करके जोर से धक्का दिया तो लंड पूरा उसकी चूत में घुस गया। उसकी आँखों से आंसू निकल गए और ऐसे लग रहा था कि जैसे वह बेहोश हो गई हो !
थोड़ी देर में उसका दर्द कुछ कम हुआ। अब वह धक्के पर आः ऊह्ह्ह श् औरऽऽर्र आआह्ह्ह्ह्ह कर रही थी, उसके हाथ मेरी पीठ पर थे और वह अपने नाखून मेरी पीठ में गड़ा रही थी। उसने अपनी टांगों को मेरी टांगों से ऐसे लिपटा लिया था जैसे सांप पेड़ से लिपट जाता है।
मुझे बहुत आनंद आ रहा था। उसके ऐसा करने से लंड उसकी चूत की पूरी गहराई नाप रहा था और हर शॉट के साथ वह पूरा आनंद ले रही थी, बोल रही थी- अंकुर, प्लीज़ कम ओन ऽऽ न ! फक मी हार्ड !
उसकी साँसें तेज हो गई थी और पूरे कमरे में आ आ... आ... उ... की आवाजें गूंजने लगी और फिर आःह्हछ उफ्फ्फ्फ्फफ्फ् श्ह्ह्ह्ह्ह्ह् की आवाजें करते करते वो फिर से झड़ गई। अब उसकी चूत और चिकनी हो गई थी और मैंने अपनी स्पीड और बढ़ा दी- कभी तेज शॉट और छोटे शॉट तो कभी तेज शॉट और लॉन्ग शॉट लगाता। जब छोटे शॉट लगाता तो उसको लगता कि उसकी जान निकल रही है, जब लॉन्ग शॉट लगाता तो उसको दर्द होता और ऐसे ही दस मिनट की चुदाई के बाद मैं उसकी चूत में ही झड़ गया और ऐसे ही उसके ऊपर निढाल होकर लेट गया। उसके चेहरे पर संतुष्टि और आनंद झलक रहा था।
हम दोनों पूरी तरह थक चुके थे। उसमें इतनी हिम्मत नहीं थी कि वो अपने कपड़े पहन सके। मैंने उसको जल्दी जल्दी जल्दी कपड़े पहनाए क्योंकि डर था कहीं कोई आ ना जाये !
मुझे उसने बाद में बताया कि अब वह बहुत खुश है !
और उसके बाद मैंने उसे चार बार और चोदा और उसने मुझ से अपनी तीन सहेलियों की सील भी तुड़वाई पर वो मैं अगली बार लिखूंगा।
अभी हमें नए घर में आये हुए चार दिन ही हुए थे। मैने देखा कि वो मेरी तरफ देख रही थी। मैंने उस दिन उसको पहली बार देखा। बस मेरा तो समझो लंड पूरा अकड़ गया। मन किया कि साली को अभी पटक कर चोद दूँ पर मैं चाहता था कि पहल वही करे तो ज्यादा अच्छा रहेगा।
मैं बाईस साल का स्मार्ट लड़का हूँ, अच्छी अच्छी लड़कियाँ मरती हैं मेरे ऊपर ! बस उस दिन तो मैं जैसे तैसे ऑफिस चला गया तो वो बाद में मेरे घर आई, मेरी मम्मी से मिली और पूछा कि कहाँ से आये हो? क्या करते हो? और मेरे बारे में भी पूछा।
आपको बता दूँ कि मेरा खुद का व्यापार है क्रॉकरी एक्सपोर्ट का। मैं सुबह 10 बजे ऑफिस जाता हूँ और रात को 8 बजे आता हूँ। शनिवार और रविवार मेरी छुट्टी होती है।
अगले दिन शनिवार था तो वो स्कूल नहीं गई। शायद उसे मम्मी ने बता दिया था कि मैं शनिवार को घर पर ही रहता हूँ। जब मैं 7 बजे सोकर उठा तो बालकोनी की तरफ आया। देखा कि वो खड़ी थी, मेरी तरफ देखते ही उसने गरदन हिलाकर मुझे नमस्ते किया और मेरी तरफ एक मिनट में आने इशारा करके चली गई।
मैं देखता रहा। अचानक देखा तो वो मेरे घर पर ही मेरे पीछे खड़ी थी। अच्छा हुआ कि उस समय मम्मी वहाँ नहीं थी मंदिर चली गई थी। मैंने उससे पूछा- जी हाँ ! बताईये !
तो वो कहने लगी- आप मेरी तरफ देख रहे थे न ! तो मैंने सोचा कि जाकर ही मिल लूँ।
मैंने कहा- प्लीज़, आप यहाँ से चली जाओ ! कहीं किसी ने देख लिया तो परेशानी हो जाएगी।
वो बोली- ओ के बाबा ! चली जाउंगी, तुम क्यों इतना डर रहे हो?
फिर बोली- अच्छा तुम्हारा नाम अंकुर है ना? और तुम बिजनेस करते हो ! और तुम्हारी शादी भी नहीं हुई है ! अभी तक क्या तुम्हारा शादी करने का मन नहीं करता?
तो मैंने गुस्से से कहा- तुम्हें इससे क्या मतलब ?
क्योंकि मुझे डर लग रहा था, अभी चार दिन हुए थे मोहल्ले में आये हुए।
वो बोली- प्लीज़, मेरा एक काम करोगे?
उसकी आँखों में मासूमियत झलक रही थी तो मैं भी पिघल गया और बोला- बोलो, क्या काम है?
तो वो बोली- मैंने सुना है कि आपकी इंग्लिश बहुत अच्छी है लेकिन मेरी बहुत कमजोर है। अगर आप मुझे थोड़ा बहुत पढ़ा दिया करें तो आपका एहसान मैं जिन्दगी भर नहीं भूलूंगी।
तो मैंने कहा- इसमें एहसान की क्या बात है, अगर तुम्हारे घर वालों को कोई परेशानी नहीं है तो मुझे भी कोई परेशानी नहीं होगी। तुम रोज रात को आठ बजे आ सकती हो।
उसने मुझे धन्यवाद कहा तो मैंने सोचा कि मौका है गुरु ! चौका मार दो और बोल दिया- दोस्ती में नो सॉरी ! नो थैंक्स !
वो मुस्कुराई और जाने लगी, तभी मेरी मम्मी भी मंदिर से आ गई। और उससे पूछ ही लिया- हाँ बेटी ! कैसे आई थी।
मम्मी को शक तो हो रहा था, बस मैं तुरंत अपने कमरे में चला गया।
पर उसने खुद ही मम्मी को बोल दिया कि मैं आज से शाम को 8 बजे से उसे पढ़ाने वाला हूँ क्योंकि उसकी परीक्षा करीब आ रही हैं, और उसे कोई इंग्लिश का अच्छा टीचर नहीं मिल रहा है।
मैंने भी चुपके से सुन लिया। मैं भी मन ही मन खुश होने लगा। उस दिन ऑफिस में भी काम में मन नहीं लगा। अब इतनी सुन्दर लड़की और वो भी नई, तो भला किसका मन करेगा काम करने का ! और मैं ऑफिस से सात बजे ही आ गया।
मम्मी ने खाने को पूछा तो मैंने बोला- अभी नहीं ! थोड़ा बाद में खाऊंगा।
बस 8 बजे और वो गई अपनी किताबें लेकर !
तो मैंने उसे बोला कि पढ़ाई हमेशा एकांत में ही होती है और अपने कमरे में आने को कहा। बस वो मेरे पीछे पीछे आ गई। अब वो और मैं मेरे बिस्तर पर बैठ गये। उसने अपनी किताब खोली और पूछने लगी यह क्या होता है, वो क्या होता है।
मेरा कहाँ मन कर रहा था पढ़ाने का ! मैं तो बस उसकी तरफ देखता ही जा रहा था।
उसने पूछा- क्या देख रहे हो ?तो मैंने कहा- तुम्हारा चेहरा पढ़ रहा हूँ क्योंकि मैं एक साइकोलोजिस्ट हूँ और मुझे लगता है कि तुम्हें कोई ना कोई परेशानी जरूर है।
तब वो उत्साहित हो गई और बोली- आपको कैसे पता ? और बताओ ना कुछ !
तो मैंने भी सोचा कि मौका अच्छा है और बोला- लगता है तुम्हें किसी की कमी खलती है अपनी जिन्दगी में !
तो वो बोली- हाँ ! और तुम्हें शायद कोई अच्छा दोस्त नहीं मिला जिससे तुम अपने दिल की बातें कर सको !
तो उसने हाँ में सर हिलाया और उदास सी ही गई और बोली- कुछ और भी बताओ ना !
तो मैंने कहा- लाओ तुम्हारे गालों की लकीरें देखता हूँ क्या कहती हैं ! और उसके गालों को छू-छू कर देखने लगा।
मेरा लंड तो समझो बाहर आने को बेताब था पैंट से !
वो देख रही थी और बोली- बताओ ना क्या लिखा है मेरे गालों पर ?
तो मैंने बोल दिया कि तुम्हारी जिन्दगी में कोई बहुत जल्दी आने वाला है और तुम भी उसे चाहती हो और अगर तुमने उसे बोलने में थोड़ी भी देर की तो तुम जिन्दगी भर ऐसे ही पछताते रहोगी।
तब वो बोली- अगर उसने मना किया तो ?मैंने कहा- ऐसा हो ही नहीं सकता।
तब अचानक वो मुझसे लिपट गई और बोली- आई लव यू अंकुर !
बस मैंने भी बोला- आई लव यू टू जान !
और उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिये। पांच मिनट तक हम दोनों ऐसे ही लिपटे रहे कि अचानक उसकी मम्मी ने नीचे से आवाज लगाई- पढ़ाई ख़त्म हो गई हो तो आ जाओ बेटा ! बाकी कल पढ़ लेना। अगले दिन इतवार था तो मैंने उसे कहा- कल मैं कहीं बाहर जा सकता हूँ इसलिए तुम्हें सुबह आठ बजे ही पढ़ा दूंगा।
रात भर नींद नहीं आई और बस सोचता रहा कि कब सुबह हो और चोद डालूं उसे !
वो रात भी इतनी लम्बी हो गई कि बस आप तो जानते ही होंगे दोस्तो कि इंतजार कितना मुश्किल होता है।
खैर सुबह हुई, आठ बजे और वो आ गई। और तभी मम्मी भी मंदिर चली गई। वो और मैं सीधे कमरे में गये, दरवाज़ा बंद कर लिया और जाते ही उसके जलते हुए होठों पर अपने होंठ रख दिये। वो भी मेरा साथ देने लगी। ना जाने कब ही कब में मैंने उसकी चूचियों को आजाद कर दिया और उन्हें जोर जोर से मसलने लगा। उसने मेरा हल्का सा विरोध किया पर उसके बाद वो भी गर्म हो गई।
मेरा लंड अन्दर ही पैंट फाड़ने लगा और उसने अपने हाथों से मसलना शुरू कर दिया। करीब 10 मिनट की चुम्मा-चाटी के बाद वो पूरी गर्म हो गई और मेरे कपड़े उतारने लगी।
मैंने भी देर ना करते हुए उसके कपड़े उतार दिए। उसने केवल पैन्टी ही पहनी थी। उसका नंगा बदन देखकर मैं दंग रह गया। उसकी चूचियाँ इस तरह मेरे सामने थीं कि मानो मुझे अपनी वासना बुझाने के लिए आमन्त्रित कर रही हों।थोड़े ही समय में दोनों पूरे नंगे हो गए। वह घुटने के बल बैठ गई और मेरा लंड चूसने लगी और मैं उसके मम्मे दबा रहा था। फिर मैंने उसे लिटा दिया और उसकी संगमरमरी चूत अपनी उंगलियों से चोदने लगा। उसकी चूत एकदम कसी थी अनचुदी कली थी। वह सिसकारियाँ भर रही थी और इतने में वह झड़ चुकी थी। मैंने उसके अमृत-रस को साफ़ कर दिया।
तब मैंने अपने लंड को उसकी चूत के छेद से सटाया और सांस रोक कर जोर लगाने लगा। पर उसकी चूत बहुत कसी लग रही थी तो मैंने कर थोड़ा जोर से धक्का लगाया तो उसकी चीख निकल गई। मैंने उसके मुँह पर हाथ रख दिया ताकि पड़ोसी न सुन सकें।
लंड का सुपाड़ा उसकी चूत में घुस चुका था। अब मैंने लंड को थोड़ा सा पीछे करके एक और जोर से धक्का दिया तो लण्ड चूत की दीवारों को चीरता हुआ आधा घुस गया। अब वह सर को इधर उधर मार रही थी पर लंड अपना काम कर चुका था। मैंने अपनी सांस रोकी और लंड को वापिस थोड़ा सा पीछे करके जोर से धक्का दिया तो लंड पूरा उसकी चूत में घुस गया। उसकी आँखों से आंसू निकल गए और ऐसे लग रहा था कि जैसे वह बेहोश हो गई हो !
थोड़ी देर में उसका दर्द कुछ कम हुआ। अब वह धक्के पर आः ऊह्ह्ह श् औरऽऽर्र आआह्ह्ह्ह्ह कर रही थी, उसके हाथ मेरी पीठ पर थे और वह अपने नाखून मेरी पीठ में गड़ा रही थी। उसने अपनी टांगों को मेरी टांगों से ऐसे लिपटा लिया था जैसे सांप पेड़ से लिपट जाता है।
मुझे बहुत आनंद आ रहा था। उसके ऐसा करने से लंड उसकी चूत की पूरी गहराई नाप रहा था और हर शॉट के साथ वह पूरा आनंद ले रही थी, बोल रही थी- अंकुर, प्लीज़ कम ओन ऽऽ न ! फक मी हार्ड !
उसकी साँसें तेज हो गई थी और पूरे कमरे में आ आ... आ... उ... की आवाजें गूंजने लगी और फिर आःह्हछ उफ्फ्फ्फ्फफ्फ् श्ह्ह्ह्ह्ह्ह् की आवाजें करते करते वो फिर से झड़ गई। अब उसकी चूत और चिकनी हो गई थी और मैंने अपनी स्पीड और बढ़ा दी- कभी तेज शॉट और छोटे शॉट तो कभी तेज शॉट और लॉन्ग शॉट लगाता। जब छोटे शॉट लगाता तो उसको लगता कि उसकी जान निकल रही है, जब लॉन्ग शॉट लगाता तो उसको दर्द होता और ऐसे ही दस मिनट की चुदाई के बाद मैं उसकी चूत में ही झड़ गया और ऐसे ही उसके ऊपर निढाल होकर लेट गया। उसके चेहरे पर संतुष्टि और आनंद झलक रहा था।
हम दोनों पूरी तरह थक चुके थे। उसमें इतनी हिम्मत नहीं थी कि वो अपने कपड़े पहन सके। मैंने उसको जल्दी जल्दी जल्दी कपड़े पहनाए क्योंकि डर था कहीं कोई आ ना जाये !
मुझे उसने बाद में बताया कि अब वह बहुत खुश है !
और उसके बाद मैंने उसे चार बार और चोदा और उसने मुझ से अपनी तीन सहेलियों की सील भी तुड़वाई पर वो मैं अगली बार लिखूंगा।
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