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देखने-पढ़ने से मन नहीं भरता अब 3

आज मैं जल्दी ऑफिस आ गया क्योंकि कुछ फाइल्स लेकर मुझे मुम्बई जाना था।

करीब 10-20 पर किरण का फोन आया, उसने बताया- भाभी-भैया अभी ऑफिस के लिए निकल चुके हैं, आप आ जाइए।

मैंने उससे कहा- यार, मेरी भाभी भी तो हैं, मैं क्या बहाना बनाउंगा?

तो उसने बताया- आपकी भाभी अभी-2 पड़ोस की आंटी के घर हवन में गई हैं और मुझसे कह गई है कि आप आज जल्दी घर आयेंगे और वो 2 बजे तक वापस आयेंगी। आप तुरन्त आ जाइए।

मैंने कहा- मैं आता हूँ।

फिर मैंने तुरन्त उसका सारा सामान जो कल खरीदा था, लेकर घर रवाना हो गया। किरण अपने गेट पर ही खड़ी थी, उसने कहा- आपके घर कि चाभी मेरे पास है।

मैंने उससे चाभी ली और घर खोल कर अपना समान रखा और बाथरूम में जाकर अपने लण्ड को पानी से खूब साफ किया और फिर वापस अपना घर बन्द कर के किरण के घर चला गया। तब तक किरण घर के अन्दर जा चुकी थी। किरण ने अपने ड्राइंगरूम का दरवाजा खुला ही छोड़ रखा था। मैं सीधे ही ड्राइंगरूम में पहुँच गया।

किरण सोफे के सामने खड़ी मेरा इन्तज़ार कर रही थी। आज किरण कुछ ज्यादा ही खूबसूरत लग रही थी, उसने बहुत ही प्यारा सा गुलाबी सलवार-कुर्ता पहन रखा था, बहुत हल्का सा मेकअप किया था। उसके सामने पहुँचते ही मैं अपने घुटने के बल बैठ गया और उसका एक हाथ पकड़ कर चूम लिया और फिर उसको चॉकलेट के बॉक्स पर लाल गुलाब की कली लगी हुई, भेंट की और कहा- प्लीज़ एक्सेप्ट इट, माई स्वीट हाईनेस।

इस पर वो बहुत खिलखिला कर हंसी और बोली- येस माई ड्रीम प्रिंस !

और फिर उसने अपने दोनों हाथों से पकड़ कर मुझे खड़ा किया।

इस पर मैं भी मुस्कराने लगा, खड़े होकर मैंने हल्के से उसके माथे को चूम लिया और अपनी बाहों में उसको जकड़ लिया, फिर मैंने उसके होठों को चूमा।

वो भी मेरे निचले होंठ को चूसने लगी।

इतने से जैसे मेरे लण्ड में करेन्ट दौड़ गया हो और फिर अनायास ही सलवार के ऊपर से ही मैं उसकी उभरी हुई गाण्ड पर हाथ फेरने लगा और कस-कस के दबाने लगा।

मेरा लण्ड तो मानो पैन्ट को फाड़ने के लिए मचलने लगा हो, मुझसे रहा नहीं गया और चूमते-चूमते अपने एक हाथ से उसकी चूची कस कर दबाने लगा।

अचानक किरण के मुँह से आह्ह्ह्ह की आवाज निकली, वो बोली- थोड़ा सब्र रखिये ! यहीं खड़े खड़े सब कुछ करेंगे क्या?

फिर मैं उससे अलग हुआ और बोला- सॉरी यार ! अब रहा नहीं जाता !

तो वो मुस्कराने लगी और बोली- क्या लेंगे। ठन्डा या गरम?

तो मैंने मादक मुस्कराहट के साथ अपनी जुबान होठों पर फेरते हुए कहा- मैं तो गर्म-गर्म तुम्हारा बुर-रस पियूँगा।

वो कुछ शरमाते हुए बोली- धत्त ! आप बहुत बदमाश हैं।

मैंने कहा- यह आपकी ही मेहरबानी है।

फिर मैंने उसकी कमर में हाथ डालते हुए उसके बेडरूम में ले गया और उसको बिस्तर पर बैठा दिया। साथ ही उससे चिपक कर मैं बैठ गया और उसकी चूचियों पर से दुपट्टा हटा दिया।

उसने गहरे गले का कुर्ता पहन रखा था जिससे उसकी लगभग आधी चूची बाहर नजर आ रही थी। वो गजब की सेक्सी लग रही थी यह देख कर तो मेरा लण्ड ही अकड़ गया। फिर मैं कुर्ते से बाहर आधी निकलती हुई चूचियों को चूमने चाटने लगा और दोनों चूचियों के बीच की दरार(क्लीवेज़) में जीभ डाल कर चूसते-चूसते हम दोनों एक साथ बिस्तर पर अपनी-2 टांगें बिस्तर के नीचे लटकाते हुए लेट गए।



फिर उसने मेरा सर पकड़ कर अपनी चूचियों पर दबाना शुरू कर दिया और अपनी आँख बन्द कर के सीसियाने लगी। कुछ देर के बाद मैं फिर से उसके होठों को चूमने लगा और एक हाथ से उसकी चूची दबाने लगा और अपनी एक टांग उसकी कमर पर रख दिया।

यह सिलसिला करीब 8-10 मिनट चला। फिर मैंने उसको उठाया और उसका कुर्ता उतार दिया। उसने गुलाबी रंग की ब्रा पहनी थी जिसमें उसके बड़ी-2 चूचियाँ कैद थी।

मैंने उससे कहा- तुम्हारे इन कबूतरों को कैद से छुड़ा दूँ?

इस पर उसने मदहोश निगाहों से देखा और धीरे से बोली- यह सब आपकी ही अमानत हैं, इनके साथ जो करना हो वो करिये।

मैं मुस्कराया और पीछे सर कर के उसकी ब्रा का हुक खोल दिया, फिर जब उसको सामने से देखा तो दंग रह गया।

उसकी चूचियाँ इतनी बड़ी थी कि उसके आधी-2 बाहों को छुपा रहीं थी। उसके गहरे भूरे रंग के चुचूक लगभग एक सेन्टीमीटर के होंगे जो कि पूरी तरह से खड़े थे, जैसे वो मुझे बुला रहे हों।

मैं तुरन्त एक चूची को दबाने लगा और दूसरी चूची की घुन्डी को अपने मुँह में लेकर चूसने लगा। फिर मैंने उसकी सलवार उतारने के लिए उसको खड़ा किया और नाड़ा खोल कर सलवार को उससे अलग किया, नीचे उसने गुलाबी रंग की ही पैन्टी पहन रखी थी। लगे हाथ मैंने उसको भी उतार फेंका। उसकी गद्देदार बुर शेव की हुई थी। ठीक बुर की दरार के ऊपर हल्की झांटों से मेरे वास्तविक नाम का प्रथमाक्षर लिखा था।

अनायास ही मेरा हाथ उस पर चला गया और सरकते हुए उसकी बुर तक पहुँच गया। उसकी बुर बिल्कुल गीली हो चुकी थी। फिर मैंने अपनी बीच की उंगली उसमें डाल दी। इसके बाद वो मुझसे लिपट गई। फिर मैंने उसको अपने से अलग किया और दो कदम पीछे हट कर मैंने उसे गौर से देखा और लगा कि शायद किरण की सुन्दरता को बयान करने के लिए मेरे जैसे लेखक के पास उपयुक्त शब्द ही नहीं हैं, वो अद्वितीय लग रही थी, मैं मन्त्रमुग्ध सा खड़ा रहा।

फिर उसने पूछा- आप क्या देख रहे हैं?

मैं एकदम से चौंक कर बोला- कुछ नहीं ! तुम यह बताओ कि तुम्हारे बदन का आकार क्या है?

वो बोली- 36-28-34

मैंने कहा- तुम्हारे जैसी बदनाकृति लाखों में एक होती होगी।

फिर मैंने उसके पास जाकर उसको अपनी बाहों में समेट लिया और ताबड़तोड़ चूमने लगा। फिर उसने मुझे अपने से थोड़ा अलग किया और मेरी कमीज उतारने लगी। मैंने उसका सहयोग किया। तत्पश्चात उसने मेरी जीन्स का बटन खोला और ज़िप खोल कर जैसे ही जीन्स नीचे खिसकाई, वैसे ही मेरा खड़ा लण्ड उसके मुँह से टकराया। वह एकदम चौंक गई। फिर उसने बड़े गौर से मेरे लण्ड और सीने को निहारा और बोली- माई गॉड ! आपका बदन तो प्राकृतिक रूप से ही बाल रहित है, आप बहुत सेक्सी दिख रहे हैं। और आप का 'ये' तो बहुत बड़ा और मोटा है, उस पर काला तिल आपके लण्ड को और सेक्सी बना रहा है। आपने जो फोटो भेजी थी उसमे तो काफी छोटा और पतला नजर आता था।

मैंने कहा- फोटो और असलियत में हमेशा फर्क होता है।

तो वो बोली- मुन्ना, मुझे डर लग रहा है ! इतना बड़ा कैसे जाएगा?

मैंने पूछा- अच्छा यह बताओ कि तुमने पहले कभी किसी के साथ चुदाई की है या नहीं?

वो बोली- मैंने सिर्फ अपनी उंगली की है, किसी के साथ अभी तक कुछ नहीं किया।

फिर मैंने कहा- तुम चिंता मत करो, सब ठीक हो जायेगा।

तुरन्त ही मैंने उसे कूल डाउन किया और बोला- लो इसे पहले चूसो...

वो बोली- नहीं, मुझे ठीक नहीं लगेगा।

मैंने कहा- चैटिंग में तो तुम मेरे लण्ड को बहुत चाव से चूसती थीं और जब तुम्हारे सामने मौका है तो तुम मना कर रही हो?

तो वो बोली- चैटिंग की बात और है। वहाँ तो सब बातों ही में होता है। लेकिन यह तो वास्तविकता है।

मैंने कहा- एक बार कोशिश तो करो।

उसने कहा- ओ के।

फिर वो अपने घुटने के बल मेरे लण्ड के सामने बैठ गई, उसने मेरे लण्ड को एक हाथ से हलके से पकड़ा।

मैंने उससे कहा- जरा ताकत लगा कर पकड़ो इसे ! और ऊपर नीचे करो ! यही सब कुछ है।

वो धीरे-धीरे मुठ मारने लगी।

फिर मैंने कहा- त्वचा को थोड़ा और पीछे करो तो पूरा सुपारा बाहर निकल आएगा।

उसने वैसा ही किया और मेरा पूरा सुपारा बाहर आ गया, जिसको देखते ही वो बोली- यह तो पूरा ही गुलाबी है, आपका लण्ड तो काफी सांवला है और सुपारा गुलाबी ! यह तो गजब का कॉम्बीनेशन है, आई जस्ट लव इट।

मैंने कहा- तुमको पसन्द है ?

उसने अपना मुँह ऊपर करके बड़ी-2 आँखों से देखा और सर हिला कर बोली- हाँ !

मैंने कहा- अब इसे चूसो।



फिर वो अपने घुटने के बल मेरे लण्ड के सामने बैठ गई, उसने मेरे लण्ड को एक हाथ से हलके से पकड़ा।

मैंने उससे कहा- जरा ताकत लगा कर पकड़ो इसे ! और ऊपर नीचे करो ! यही सब कुछ है।

वो धीरे-धीरे मुठ मारने लगी।

फिर मैंने कहा- त्वचा को थोड़ा और पीछे करो तो पूरा सुपारा बाहर निकल आएगा।

उसने वैसा ही किया और मेरा पूरा सुपारा बाहर आ गया, जिसको देखते ही वो बोली- यह तो पूरा ही गुलाबी है, आपका लण्ड तो काफी सांवला है और सुपारा गुलाबी ! यह तो गजब का कॉम्बीनेशन है, आई जस्ट लव इट।

मैंने कहा- तुमको पसन्द है ?

उसने अपना मुँह ऊपर करके बड़ी-2 आँखों से देखा और सर हिला कर बोली- हाँ !

मैंने कहा- अब इसे चूसो।

तो उसने झिझकते हुए आधे सुपारे को मुँह में लिया और अपनी जुबान उसके अग्र भाग पर फिराने लगी। मैंने लण्ड को थोड़ा सा उसके मुँह में अचानक घुसेड़ दिया। उसके मुँह से ओह्ह्ह की आवाज आई।

उसने कहा- बदमाशी मत करिये, नहीं तो उल्टी आ जाएगी।

मैंने कहा- ठीक है, तुम आराम से, लेकिन कस कर चूसो।

तो उसने थोड़ी और हिम्मत दिखाई और पूरा सुपारा मुँह में ले लिया और अपने सिर को आगे पीछे करने लगी।

थोड़ी देर तक तो वो अपने तरीके से मेरे लण्ड को चूसती रही, फिर मैंने कहा- रुको ! मैं तुमको सही लण्ड चूसने का तरीका बताता हूँ।

वो बोली- हाँ बताइये !

मैंने कहा- पहले अपनी जुबान से सुपारे को थोड़ी देर चाटो, फिर पूरी जुबान को अपने निचले होंठ को दबाते हुए बाहर करो और ज्यादा से ज्यादा अपना मुँह खोलो, फिर लण्ड को अपने मुँह के अन्दर लो, तो पूरा का पूरा लण्ड तुम्हरे मुँह मे आसानी से चला जायेगा। शुरू में थोड़ा जायेगा लेकिन जब तुम दो-चार बार करोगी तो पूरा लण्ड अपने मुँह में ले सकोगी तब तुम्हें मजा आयेगा।

वो बोली- मैं कोशिश करती हूँ !

और जैसा मैंने उसको बताया, वैसे ही मेरे लण्ड को चूसने लगी। कोई पांच मिनट में ही उसने मेरा आधा लण्ड अपने मुँह के अन्दर ले कर सर को आगे पीछे करने लगी। मेरा लण्ड तो और कड़क हो गया, मैं भी धीरे-धीरे उसके मुँह को खड़े-खड़े चोदने लगा और झुक कर उसकी चूची दबाने लगा और घुन्डी को उंगलियों से मीसने लगा।

थोड़ी ही देर में वो मस्त होने लगी और अपने एक हाथ से बुर को सहलाने लगी। मैं समझ गया कि वो अब पूरी तरह गर्म हो चुकी है क्योंकि वह मस्त हो कर लण्ड को चूसे जा रही थी। फिर मैंने उसका सर पकड़ा और उसके मुँह को कायदे से चोदने लगा। बीच-बीच में वो अपने मुँह से पूरा लण्ड बाहर निकाल कर लम्बी सांस ले लेती थी और फिर मैं मुँह को चोदने लगता।



यह कार्यक्रम लगभग 15 मिनट चला। फिर मुझे लगा कि मैं झड़ने वाला हूँ तो मैंने सोचा कि अपना लण्ड उसके मुँह से निकाल लूँ और बाहर ही झड़ जाऊँ, क्योंकि किरण पहली बार लण्ड चूस रही थी, पता नहीं उसको वीर्य का स्वाद कैसा लगे। लेकिन फिर मैंने सोचा कि उसको कोई विकल्प न दूँ तो ज्यादा ठीक रहेगा, जो होगा वो देखा जाएगा।

यही सोच कर मैं उसके मुँह को और तेजी के साथ चोदने लगा और 5-6 धक्कों के बाद जब मेरा माल निकलने को हुआ तो मैं एकदम से रुक गया और अपना लण्ड किरण के मुँह में ही रहने दिया और सारा वीर्य उसके मुँह में निकालने लगा। पहले तो किरण की समझ में कुछ नहीं आया। लेकिन जैसे ही वीर्य उसकी जुबान पर लगा वैसे ही उसने मेरा लण्ड अपने मुँह से निकाल दिया और जो वीर्य उसके मुँह में था उसको उसने बगल में थूक दिया और फिर मेरे लण्ड से निकलते हुए वीर्य को बड़े ध्यान से देखते हुए बोली- आप ने बताया नहीं कि आप डिस्चार्ज होने वाले हैं !

मैंने कहा- सॉरी यार, गलती हो गई।

फिर मैंने उससे पूछा- वीर्य का स्वाद कैसा है?

वो बोली- कुछ नमकीन सा, अजीब सा है।

मैंने पूछा- बहुत खराब तो नहीं है?

उसने कहा- नहीं, ठीक है ! पहली बार चखा है ना इसलिए थोड़ा अट्पटा सा लग रहा है।

तो मैंने कहा- जो मेरे लण्ड पर वीर्य लगा है उसे तुम चाट जाओ।

वो बोली- नहीं !

मैंने फिर जोर दिया तो मान गई और मेरे लण्ड को चूसने लगी और जितना भी वीर्य लगा था वो भी चाट गई।

फिर मैंने उसे पीठ के बल बिस्तर के किनारे लिटा दिया और खुद घुटनों के बल उसके टांगों के बीच फर्श पर बैठ गया फिर उसके पैर घुटनों से मोड़ कर फैलाये और अपनी जुबान बुर पर फिराई।

यकायक मुझे बंगलोर वाली दोस्त की सलाह याद आई, उसने कहा था कि अगर वो कुंवारी हो तो प्लेन कन्डोम प्रयोग करना और पहले उसकी बुर को उंगली से चोद कर अच्छी तरह तैयार करना, फिर बगैर रुके काफी देर तक चुदाई करना।

यही सोच कर मैं बुर की फाकों को फैला कर दाने को चाटने लगा और एक उंगली उसके बुर में घुसेड़ कर आगे-पीछे करने लगा। उसकी बुर पहले से ही बहुत गीली थी तो उंगली जाने में कोई परेशानी नहीं हुई। वो बुर चुसाई और उंगली चुदाई का आँख बन्द करके मजा ले रही थी। उसके दोनों हाथ अपनी चूचियों को सहला रहे थे।

फिर मैं उसकी बुर को दो उंगलियों से चोदने लगा और अंगूठे से बुर के दाने को रगड़ने लगा। इससे उसकी बुर से चिकना गाढ़ा पदार्थ निकलने लगा और बह कर उसके गाण्ड के छेद से होता हुआ नीचे बिछी चार पर टपकने लगा। फिर मैंने अपने दूसरे हाथ की एक उंगली को बुर-रस से सराबोर किया और उसके गाण्ड में धीरे से खोंस दिया और अन्दर-बाहर करने लगा।

उसने अपनी गाण्ड थोड़ी सी ऊपर उचकाई और बोझिल आवाज में धीरे से कहा- मुन्ना प्लीज़ ! बदमाशी मत करो।

मैंने कहा- बस डार्लिंग एक मिनट।

कोई एक मिनट बाद मैंने अचानक अपनी चारों उन्गलियों को उसके बुर में घुसड़ दिया और अन्दर बाहर करने लगा। वो एकदम से अपने एक कोहनी के बल उठ बैठी और दूसरे हाथ से मेरा हाथ पकड़ लिया और बोली- मुन्ना प्लीज़ ! दर्द कर रहा है, छोड़ दीजिए प्लीज़ !

लेकिन मैं उसकी बुर और गाण्ड दोनो को ही अपनी उन्गलियों से चोदता रहा और बोला- बस डार्लिंग थोड़ा सा बर्दाश्त कर लो। फिर तो मजा ही मजा है।

इस पर वो आआआह्ह्ह्ह्ह आआआह्ह्ह्ह्ह करते फिर लेट गई। मैं करीब 5 मिनट तक इसी तरह उसको चोदता रहा, वो आआआह्ह्ह्ह ऊउह्ह्ह्ह्ह करती रही, फिर गाण्ड को थोड़ा ऊपर उठाते हुए उसने झटके से मेरे दोनों हाथ अपनी बुर और गाण्ड से निकाल दिया, और फिर उसका पेट एक दो बार फड़का और उसने जोर से कहा- आआआह्ह्ह्ह्ह फिर उसकी बुर से एक जबरदस्त फव्वारा फूट पड़ा। जिससे मेरा पूरा का पूरा चेहरा ही भीग गया और फिर उसने एक हाथ से अपनी बुर को जल्दी जल्दी रगड़ने लगी और एक बार फिर उसके मुँह से निकला- आआआह्ह्ह्ह्ह और इस बार उसकी बुर से हल्का सा फव्वारा फूटा फिर निढाल हो कर हांफते हुए करवट ले ली।


किरण तो परम आन्न्द प्राप्त कर निढाल सी लेट गई थी, इधर मेरा लण्ड थोड़ा मुर्झाया सा लटक रहा था जैसे किसी बच्चे को बिना वजह डांटा गया हो और वो गर्दन झुकाए खड़ा हो।

मैंने किरण से अपने लण्ड की तरफ इशारा करते हुए कहा- देखो इसे ! कितना उदास है !

फिर मैंने अपने लण्ड से कहा- अरे मेरे पप्पू ! क्यों उदास हो, अभी तुम्हारा नम्बर आता है ना !

इस पर किरण मुस्करा दी। फिर बुर-रस से भिगा मेरा चेहरा और हेयरलेस-सीना लिए मैं बिस्तर पर चढ़ा और किरण को सीधा किया। फिर उसके ऊपर ही लेट गया और चूमने लगा और कहा- अपने बुर-रस को चाट कर मेरा चेहरा तो साफ करो।

वो कुछ नहीं बोली लेकिन मुस्कराई। फिर उसने मुझे नीचे किया और खुद मेरे ऊपर आ गई। मेरे लण्ड के ऊपर उसकी बुर थी उसकी बड़ी-2 चूचियाँ मेरे गीले सीने से चिपक गईं। फिर उसने अपने दोनों हाथों से मेरा सर पकड़ा और अपनी जुबान से मेरा माथा चूमा और चाटना शुरू किया। फिर धीरे धीरे उसने मेरे गाल चाटे और फिर मेरे होठों को चूसा। फिर सीने को चूसते चाटते मेरे लण्ड तक सरकते हुए पहुँच गई। फिर उसने मेरे लण्ड को पकड़ा और सुपारे को मुँह में ले कर चूसने लगी। इस बार वो किसी एक्सपर्ट की तरह चूस रही थी फिर धीरे से घूम कर 69 की पोजीशन में आ गई।

अब मेरा लण्ड पूरी तरह खड़ा होने लगा। इधर मैं उसकी बुर को फिर से चूसने लगा। उसकी बुर अभी तक गीली थी उसका स्वाद बहुत अच्छा था। करीब 10 मिनट तक हम लोग चूसा-चासी करते रहे। अब मेरा लण्ड किरण को चोदने के लिए बिलकुल कड़क हो चुका था, मैंने किरण से कहा- मेरी पैन्ट में एक कन्डोम रखा है उसे निकालो !

किरण उठी और मेरी जीन्स के पॉकेट में हाथ डाला और दो पैकेट निकाले, वो बोली- इसमें तो दो हैं !

मैंने कहा- हाँ ! एक डॉटेड है और दूसरा प्लेन !

वो बोली- ये दो किस्म के क्यों लाए आप?

मैंने कहा- इसलिए लाया कि अगर तुम पहले से चुदी होती तो मैं डॉटेड वाला प्रयोग करता। लेकिन तुम पहली बार चुदने जा रही हो इसलिये प्लेन वाला इस्तेमाल करुंगा।

वो दोनों कन्डोम ले कर आ गई। फिर मैंने उससे कहा- ये वाला कन्डोम मेरे लण्ड पर चढ़ाओ।

उसने कन्डोम चढ़ाया।

फिर मैं उठा और उसको चित्त लिटा कर उसकी गाण्ड को बेड के किनारे तक घसीटा और उसके नीचे अपना रुमाल बिछा दिया और मैं खुद उसके पैरों के पास बेड के किनारे खड़ा हो गया। फिर मैंने उसके दोनों घुटने ऊपर मोड़े और उनके बीच में अपने दोनों हाथ डाल कर उसके ऊपर झुक गया। अब मेरा लण्ड ठीक उसके बुर के सामने ठुनका मार रहा था और उसकी बुर में घुसने के लिए तैयार था। फिर मैंने लण्ड के सुपाड़े को बुर के मुहाने पर रखा और अन्दर ठेल दिया।

अभी सिर्फ सुपारा ही घुसा था कि उसका मुँह दर्द के मारे लाल हो गया, उसके मुँह से- उई माँ ! की आवाज निकली और फिर बोली- मुन्ना बहुत दर्द हो रहा है।

मैंने कहा- पहली चुदाई में थोड़ा दर्द होता ही है ! और वो तुमको सहना पड़ेगा। बाद में तो मौज ही मौज रहेगी।

यह सुन कर वो शान्त हो गई। फिर मैंने एक जोरदार धक्का मारा और मेरा आधा लण्ड उसकी बुर में घुस गया। वो दर्द से ऐंठने लगी और अपने हाथों से बिस्तर की चादर कस कर पकड़ लिया। लेकिन मैं रुका नहीं और लण्ड को थोड़ा बाहर निकाल कर फिर से तगड़ा धक्का मारा और मेरा 7 इन्च का लौड़ा पूरा ही उसके बुर में घुस गया।

वो एकदम से चीख पड़ी और छटपटाने लगी। मैं रुका नहीं और उसे लगातार चोदने लगा। करीब 10-15 धक्कों के बाद उसके चेहरे से दर्द के भाव गायब हो गये और अपने दोनो हाथों से चूची सहलाने लगी और आँख बन्द करके अपना चेहरा एक तरफ कर लिया।

उसके मुँह से आह्ह्ह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्ह्ह की आवाज निकलने लगी।

इधर मैं धक्के पे धक्के लगाये जा रहा था कि अचानक मेरी निगाह उसकी गाण्ड के नीचे बिछे रुमाल पर पड़ी, जो कि खून से लथपथ हो गया था। लेकिन मैं रुका नहीं और उसे लगातार चोदे जा रहा था। उसको अब बहुत मजा आ रहा था, उसके चेहरे के भाव से लग रह था कि वो स्वर्गिक आनन्द उठा रही है।


करीब 20 मिनट की चुदाई के बाद मुझे लगा कि उसका पेट तेजी से फड़कने लगा और उसके मुँह से आह्ह्ह्ह्ह की आवाज निकली और खुद पीछे खिसक गई जिससे मेरा लण्ड उसकी बुर से बाहर आ गया और फिर उसकी बुर फव्वारे के साथ झड़ने लगी और वो खुद ऐंठने लगी।

मैंने तुरन्त अपने लौड़े से कन्डोम हटाया और कूद कर उसके सीने पर बैठ गया और उसका सिर ऊपर उठा कर अपना लण्ड उसके मुँह में खोंस दिया और किरण से बोला- इसको जल्दी-जल्दी चूसो।

वो चूसने लगी। फिर मैंने बगल में पड़े दोनों तकियों को उसके सर के नीचे लगा दिया और उसके मुँह को चोदने लगा। 8-10 धक्कों के बाद मैं भी उसके मुँह में ही झड़ने लगा। उसने अपना मुँह हटाने की कोशिश की लेकिन वो हटा नहीं पाई क्योंकि मैं उसके सिर को कस कर पकड़े हुए था।

मैंने उससे कहा- तुम इसे गटक जाओ !

खैर वो मान गई और आराम से पूरा वीर्य पी लिया। मैंने अपना लण्ड उसके मुँह से निकाला, उसने मेरे लण्ड की तरफ देखा और सर उठा कर दो-तीन बार सुपाड़े को जुबान से चाटा। मैं उसके ऊपर से उठा और उसके बगल में लेट गया और उसकी चूची सोहराते हुए मैने उससे पूछा- मजा आया?

उसने अपने होठों पर जबान फेरी और मुस्कराते हुए कहा- बहुत मजा आया ! मुझे तो पता ही नहीं था कि चुदाई में इतना मजा आता है ! आज मुझे सबसे ज्यादा मजा उसमें आया जब आप मेरी बुर चूस रहे थे और आपका वीर्य भी मजेदार है।

फिर मैंने हसते हुए कहा- चलो एक दौर और हो जाए।

तो वो बोली- नहीं ! अब मैं बहुत थक चुकी हूँ, आप मुम्बई से लौट आइये, फिर करते हैं।

मैंने कहा- ओ के माई हाईनेस।

वो हंसने लगी और उठ कर बैठ गई, उसकी निगाह गाण्ड के नीचे बिछा रुमाल पर पड़ी तो वो जोर से बोली- ओह माई गॉड ! इसमें इतना खून कहाँ से आया? यह रुमाल आपने बिछाया था।

मैंने कहा- हाँ इसीलिए नीचे डाला था ताकि तुम्हारी बुर से जो खून निकले वो चादर पर न लगे- इसको तुम बाहर फेंक देना।

वो बोली- तभी मैं सोच रही थी कि इताना दर्द क्यों हो रहा है !

फिर उसने अपनी बुर की तरफ देखा और हाथ लगा कर बुर का जायजा लिया और एक उंगली अन्दर डाली और मुझसे बोली- इसका तो छेद बड़ा हो गया है मुन्ना !

मैंने कहा- हाँ ! अब तुम्हारी बुर चुदने के बाद चूत बन गई है और जब तुमको बच्चा होगा तो तुम्हारी चूत भोसड़ा कहलाएगी।

वो बोली- अच्छा ऐसे नाम पड़ता है क्या?

मैंने कहा- हाँ !

फिर उसने खून से भीगा रुमाल उठाया और बिस्तर से उठी, लेकिन फिर बैठ गई, बोली- मुन्ना ! बहुत दर्द हो रहा है !

मैंने कहा- तुम ऐसा करो, थोड़ी देर लेटी रहो और आराम करो, फिर तुम बाथरूम जाना और अपनी चूत को गरम पानी से थोड़ा सेक लेना। दर्द गायब हो जाएगा।

वो बोली- ठीक है !

फिर मैं उठा, अपने कपड़े पहने, उसको मॉन्ट ब्लैन्क पेन दिया और कहा- तुम इसी से अपना इम्तिहान देना। यू विल बी डेफ्नेटली सेलेक्टेड्।

वो बिस्तर पर बैठे ही बोली- थैन्क्स्।

मैंने कहा- बस आज के बाद थैन्क्स शब्द का इस्तेमाल मत करना। मैं दोस्ती में ऐसे शब्दों का प्रयोग बिल्कुल पसन्द नहीं करता। ओ के? बाबा ओके ! वो बोली।

मैंने अपनी घड़ी देखी तो उसमे 1-15 हो चुके थे फिर मैं तुरन्त उसके घर से बाहर आया और अपनी भाभी को फोन कर के कहा- फ्लाइट का समय हो गया है और मैं एयरपोर्ट जा रहा हूँ, घर की चाभी मैं किरण को दे दूंगा।

फिर मैं अपने घर गया, अटैची और बैग उठाया, बाहर आया, घर लॉक किया और वापस किरण के घर चाभी देने गया, किरण अभी भी बिस्तर पर चादर ओढ़े लेटी थी।

मुझे देखते ही बोली- क्या हुआ मुन्ना?

यह घर की चाभी रख लो, भाभी को दे देना।

वो बोली- रुको मैं दरवाजा बन्द कर लूँ।

वो अभी भी बिल्कुल नंगी ही थी। फिर उसने चादर को लपेटा और मेरे पीछे पीछे आई।

दरवाजा बन्द करने से पहले मैं उसकी तरफ घूमा, एक जोरदार चुम्बन लिया और उसकी एक चूची दबा कर कहा- बाय।

वो तेजी से मुस्कराई और बोली- आप बहुत ही बदमाश हैं !

और अपना दरवाजा बन्द कर लिया। वहाँ से निकल कर मैं मुम्बई के लिए निकल पड़ा।
  
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